Future of Agriculture Coaching Centres in India
आज से 10 से 20 साल पहले की बात की जाए तो हम देखते हैं की medicine और इंजीनियरिंग का शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक महत्व था, यह आज भी है। उन दिनों कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। हालांकि वर्ष 2006-07 के बाद बहुत से स्टूडेंट्स ने इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखाना शुरू किया। वर्ष 2010 के बाद से अधिक से अधिक छात्रों ने उच्च कृषि शिक्षा में रुचि दिखाना प्रारंभ किया।

Agriculture distance learning programme
List of contents |
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(1). Agriculture coaching classes scope |
(2). शिक्षा व्यापार की संभावना |
(3). क्या कृषि कोचिंग जरूरी है? |
(4). असंख्य कृषि कोचिंग संस्थान |
(5). महत्वपूर्ण बातें |
(6). What is the future of Agriculture Coaching Centres? |
(1). Agriculture coaching classes scope
कृषि में छात्रों के बढ़ते रुचि का प्रमुख कारण था की आसानी से सरकारी नौकरी का उपलब्ध होना। यहां माली से लेकर डायरेक्टर तक की सरकारी नौकरी उपलब्ध होती है, और साथ ही निजी नौकरी में भी आसानी से मिलने की 99% मौका होता है। इन्ही वजहों से अधिक से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के रूप में कृषि को एक प्रोफेशनल विषय के रूप में चुनने लगे।
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(2). शिक्षा व्यापार की संभावना
सन् 2013 के बाद से छात्रों की अधिक संख्या को देखते हुए बेरोजगार UG और PG degree होल्डर्स ने एक संभावना तलाश ली, और इसे बिजनेस का रूप दे दिया। उनके द्वारा अधिक से अधिक संख्या में क्वालिटी स्टडी के नाम से कोचिंग क्लास खोला जाने लगा। वर्तमान में अध्ययनरत ने इसमें बहुत रुचि दिखाई। कोचिंग संस्था अधिक से अधिक मुनाफा कमाने लगे।
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(3). क्या कृषि कोचिंग जरूरी है?
जबकि वास्तविकता यह है की कृषि एक ऐसा विषय है जिसमें आयोजित होने वाले किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग की अवश्यकता बिलकुल भी नहीं होती। इस पोस्ट को लिखने के नाते मैं ऐसा इसलिए कह सकता हूं क्योंकि मैंने कभी भी कोचिंग क्लास में भाग नहीं लिया, फिर भी मैंने स्व अध्ययन से निम्न. प्रतियोगी परीक्षाओं को पास किया:
- Pre Agriculture Test.
- SAU CET.
- ICAR JRF and SRF.
- BHU UET.
- NET.
- IBPS AFO.
- Rural Agricultural Extension Officer.
- Senior Agricultural Extension Officer.
क्योंकि छात्रों के दिमाग में प्रारंभ से ही बिजनेस को सफल बनाने के लिए कोचिंग क्लासेज का एक बहु भर दिया जाता है, और इसलिए वे इसमें अनावश्यक ही पैसा बरबाद करतें। हालांकि इंजीनियरिंग, मेडिकल, और IAS जैसे परीक्षाओं के लिए यह कुछ सीमा तक सही है, परंतु कृषि एक ऐसा विषय है जिसे सही प्राणिक पुस्तकों के अध्ययन के द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। UG में पढ़ाई करने वाले छात्रों को यह बात समझ में नहीं आती, इसलिए वे आसानी से कोचिंग सेंटर के झांसे में आ जाते है। PG में पढ़ाई करने वाले छात्रों को इस बात का अहसास होता है, इसलिए वे स्व अध्याय ही करते हैं।
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(4). असंख्य कृषि कोचिंग संस्थान
वर्ष 2013=14 से लेकर आज वर्तमान तक के समय में कृषि कोचिंग सेंटर्स की इतनी अधिक बाद आई की हर छोटे छोटे शहर में इनकी उपस्थिति देखी जा सकती है। लेकिन आज वर्तमान में सब बदल गया है:
- कृषि छात्रों की संख्या जरूरत से ज्यादा हो गई है।
- सरकारी नौकरियों की संख्या कम हो गई है।
- पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्र बिजनेस नहीं करना चाहते।
- बेरोजगारी हद से ज्यादा है।
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(5). महत्वपूर्ण बातें
- धीरे धीरे छात्रों को अनुभव होता जायेगा की कृषि जैसे विषय में कोचिंग क्लास ज्वाइन करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
- अगर वे सही पुस्तकों के साथ, और ऑनलाइन मॉक टेस्ट में भाग लें तो इससे सम्बन्धित कोई भी परीक्षा बहुत ही आसान हो जाती है।
- सबसे जरूरी बात यह है की उन पुस्तकों की भी खरीदी की जाए जिनमें पिछले 10 वर्ष में पूछे गए प्रश्नों का समावेश हो।
- प्वाइंट 1, 2 और तीन में कही गई बातों के आधार पर एक कोचिंग सेंटर काम करता है।
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(6). What is the future of Agriculture Coaching Centres?
Future of agriculture coaching centre or coaching classes. Know it before opening any coaching centre.
आने वाले कुछ समय के बाद छात्रों को आसानी से समझ में आ जायेगा की कोचिंग सेंटर में पैसे और समय की ही बर्बादी होती है। वे स्व अध्याय पर ही ध्यान देंगे। इस तरह जितने तेजी से सभी कृषि कोचिंग सेंटर स्थापित हुए थे उससे भी ज्यादा तेजी से बंद भी होने लगेंगे। क्योंकि क्या आपने कभी BA के लिए कोचिंग क्लास सुना है, बिलकुल नहीं। क्योंकि उन्हें पता है की इस हेतु कोचिंग की जरूरत ही नहीं है, यही अनुभव कृषि के छात्रों को कुछ समय बाद स्वयं ही हो जायेगा। इस तरह कृषि कोचिंग सेंटर का भविष्य अच्छा नहीं है। हालांकि पार्ट टाइम के रूप में यह पैसा कमाने का एक अच्छा साधन है।
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