Oyster Mushroom Spawn (Seed) and Method (Procedure) of Production
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Key words:
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What is oyster mushroom spawn?
मशरूम बीज (ऑयस्टर मशरूम बीज के संदर्भ में) सत्य बीज (True Seed) के वर्ग (category) में नहीं आती है।
ऑयस्टर मशरूम बीज मुख्य रूप से 2 कारकों (factors) से मिलकर बनी होती है। इनमें एक अजैविक और दूसरा महत्वपूर्ण कारक जैविक कारक होता है।
अजैविक कारक : गेहूँ के दाने (माध्यम के रूप में)।
जैविक कारक : ऑयस्टर मशरूम के बीजाणु (spores)।
इस तरह उपचारित गेहूँ के दानों को माध्य्म के रूप में उपयोग करते हुए, ऑयस्टर मशरूम के बीजाणु के साथ मिश्रण पश्चात मशरूम उत्पादन हेतु बीज के रूप में अनुसरण में लाया जाता है, और इसे ही मशरूम बीज कहा जाता है।
Method of Procedure of Cultivation (Production) of Oyster Mushroom
विषय सूची:
- मशरूम उत्पादन परिचय।
- ऑयस्टर मशरूम उत्पादन परिचय।
- आवश्यक उपकरण, संरचना एवं अन्य संरचनाएँ।
- ऑयस्टर मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया।
(1). मशरूम उत्पादन परिचय
मशरूम उत्पादन की विभिन्न विधियों का अनुसरण करते हुए मशरूम की व्यावसायिक प्रजातियों को नियंत्रित वातावरण में उगाना ही मशरूम उत्पादन कहलाता है।
(2). ऑयस्टर मशरूम उत्पादन परिचय
व्यावसायिक तौर पर उगाई जाने वाली मशरूम की प्रजातियों में ऑयस्टर मशरूम की खेती सबसे सरल होती है। इसमें किसी भी तरह की तकनीकी ज्ञान की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती है।
इस लेख में आगे हम ऑयस्टर मशरूम की खेती या उत्पादन प्रक्रिया के बारे में जानेंगे।
(3). आवश्यक उपकरण, संरचना एवं अन्य संरचनाएँ
- ऑयस्टर मशरूम का बीज।
- धान का पुआल या पैरा।
- पॉलिथीन की थैली।
- नाइलॉन की पतली रस्सियाँ।
- पानी की टंकी।
ऑयस्टर मशरूम का बीज
उपयोग- यह सबसे महत्वपूर्ण सामग्री है। इसे online खरीदी की जा सकती है।
धान का पुआल या पैरा
उपयोग- मशरूम बीज की स्पानिंग या बुआई धान के पुआल में की जाती है। यह उपयोग हेतु सर्वोचित होने के साथ-साथ आसानी से प्राप्त होने वाली और सस्ती है।
पॉलिथीन की थैली
उपयोग- पॉलीथिन की थैली आधार संरचना का कार्य करती है।
नाइलॉन की पतली रस्सियाँ
उपयोग- उपचारित माध्यम से भरे पॉलीथिन को लटकाने हेतु।
पानी की टंकी
उपयोग- पुआल को भिगोने हेतु।
(4). ऑयस्टर मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया
- बीज की व्यवस्था करना।
- पुआल की व्यवस्था करना।
- पैरा की कुट्टी काटना।
- पैरा कुट्टी को पानी में भिगोना।
- पानी निथारना।
- छाँव में सुखाना।
- बीज मिलाना या स्पानिंग करना।
- पॉलिथीन बैग भरना।
- रस्सियों से बैग को बाँधना।
- बैग में चिरा लगाना।
- मशरुम की तुड़ाई करना।
- बाजार में बेचना।
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बीज की व्यवस्था करना
बीज खरीदी जा सकती है।
पुआल की व्यवस्था करना
पूर्व में खेती की गई धान की खेती से बचे पुआल का उपयोग किया जा सकता है। यह विकल्प (option) नहीं होने की दशा में खरीदी की जानी चाहिए।
कभी भी सड़े पुआल नहीं खरीदने चाहिए।
पैरा की कुट्टी काटना
अब वीडियो में दिखाए अनुसार पैरा की कुट्टी मशीन से काटें या मशीन न होने की दशा में हस्त चलित उकरण जैसे कि हंसिया का उपयोग किया जाना चाहिए। इसकी कटाई शाम के समय की जानी चाहिए।
पैरा कुट्टी की लंबाई मध्य अँगुली (उंगली) के आधे के बराबर रखी जानी चाहिए।
पैरा कुट्टी को पानी में भिगोना
अब कटे हुए पैरा कुट्टी को पानी की टंकी में भरते हैं और टंकी को पानी से भर देते हैं। पुआल की कुट्टी को शाम के समय कटाई के पश्चात टंकी में भरते हैं, और अगली सुबह तक इसे पानी में डूबे रहने देते हैं।
यहाँ यह बात बहुत ही जरूरी है कि आप पानी में 2% formalin या bavistin डालना न भूलें।
पानी निथारना
अगली सुबह पैरा कुट्टी में से पानी को निथार लेते हैं।
छाँव में सुखाना
कुट्टी से पानी निथारने के बाद इसे किसी साफ पॉलिथीन शीट के ऊपर सुखाने के लिए फैला देते हैं। सुखने के पस्चात इसमें नमी की मात्रा 70% होनी चाहिए। इसे जानने का सबसे आसान तरीका यह है कि अपने हथेली से छाँव में सुखते हुए कुट्टी की तह को दबाएँ। दबाने पर यदि हल्की सी नमी हथेली पर आये तो इसे तैयार समझ लेना चाहिए।
बीज मिलाना या स्पानिंग करना
अब आपके पास जितनी बीज है उसकी पूरी मात्रा को कुट्टी से अच्छी तरह मिश्रित कर दें। इसे ही मशरूम की स्पानिंग या मशरूम की बुआई कहते हैं।
पॉलिथीन बैग भरना
अब मिश्रित किये हुए कुट्टी को पॉलिथीन बैग में भर दें।
रस्सियों से बैग को बाँधना
चित्र में दिखाए अनुसार पॉलिथीन की थैलियों को रस्सी से बांधकर लटका दें।
बैग में चिरा लगाना
7-9 दिनों बाद बैग के अंदर मशरुम का कवकजाल पूरी तरह फैल जाता है। यह भूरे सफेद रंग का होता है।
अब पॉलिथीन में दो दिशा में लंबी चिरा लगा दें। यहीं से अगले 3 – 4 दिनों में पिनहेड निकल आते हैं।
मशरुम की तुड़ाई करना
पिनहेड लगभग 3 – 4 दिनों में विकसित हो जातें। पूर्ण आकर लेने के बाद मशरूम को आधार से काट लेते हैं। इस समय कवक जाल को हानि नहीं पहुँचनी चाहिए।
बाजार में बेचना
इसे बाजार में 200.00 ₹ से 250.00 ₹ प्रति किलो के हिसाब से बेंचा जाता है।