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Pot Culture Technique: Home and Kitchen Garden


Pot Culture

गमले में पौधों को लगाना (pot culture) पौध उगाने की एक कला है, इसे हम चलता फिरता उद्यान भी कहते हैं।

Also read: Pot vegetable farming

गमलों में पौधे लगाने के उद्देश्य

  • गमले में लगे पौधों को हम अपनी इच्छानुसार एक जगह से दूसरी जगह बदल सकते हैं।
  • घरों की आतंरिक सजावट के लिए, जैसे- सीढ़ियों के दोनों ओर, छज्जोँ तथा छत्तों पर या कमरों में रखकर भवन की शोभा बढ़ा सकते हैं।
  • स्थान की कमी होने के कारण भी पौधों को गमलों में लगाया जाता है, क्योंकि अत्यंत ही कम जमीन होने पर सब्जी और पुष्प उत्पादन में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • कुछ पौधे अत्यंत ही कोमल एवं सुन्दर होते हैं, इसलिए उन्हें स्थान विशेष में लगाया जाता है।
  • ग्रीष्म और वर्षा ऋतू से बचाने के लिए पौधों को गमलों में लगाना एक अच्छा उपाय है।
  • छाया पसंद करने वाले पौधों को भी गमलों में लगाने की प्राथमिकता दी जाती है।
  • Bonsai पौधे बिना गमलों के लगाना संभव नहीं हो पाता, अतः बोनसाई पसंद करने वाले गमलों का ही उपयोग करते हैं।
  • Pot vegetable farming करना भी Pot Culture का एक उद्देश्य है।
  • गमलों में पौधे लगाने का महत्वपूर्ण उद्देश्य खाद, पानी एवं उर्वरकों का बचत करना भी है।

गमलों के प्रकार (types of pot)

गमले निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:

  • मिट्टी के गमले
  • सीमेंट के गमले
  • पॉलिथीन के थैले
  • लकड़ी के बॉक्सनुमा गमले
  • बांस की टोकनी

मिट्टी के गमले

मिट्टी के गमले प्राकृतिक रूप से सबसे अच्छे माने जाते हैं। ये सस्ते होते होने की वजह से इनको अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है। मिट्टी के गमले विभिन्न आकार और प्रकार में मिलते हैं.

सीमेंट के गमले

सीमेंट से बने गमले स्थाई होते हैं और मिट्टी के गमलों की तरह नहीं टूटते हैं। ये विभिन्न प्रकार के सुन्दर आकर में बनाये जाते हैं। शहरों में इसका प्रयोग ज्यादा होता हैं, इसे घर के अंदर व बाहर दोनों ही जगह में शोभादार पौधों को लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

पॉलिथीन के थैले

पॉलिथीन के थैले स्थाई नहीं होते हैं। मोटे पॉलीथिन थैलियों का उपयोग गेंदे तथा अन्य फूलों को उगाने हेतु किया जाता है।

लकड़ी के बॉक्स

ये भी पॉलीथिन की थैलियों की तरह ही स्थाई नहीं होते हैं, तथा सब्जी व फूल उगाने के लिए उपयोग में लाये जाते हैं।

बांस की टोकनी

इनका उपयोग छोटे व कोमल पौधों को उगाने के लिए किया जाता है। बीज बोन के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

साथ ही खाली पड़े टीन के डिब्बे और पानी के बोतल भी Pot Culture में काम में आते हैं। यही तकनीक Pot Culture कहलाती है।

गमलों में पौध उगाने की तकनीक

  1. गमलों का चयन
  2. गमले के लिए मिट्टी तथा खाद मिश्रण (Pot Mixture)
  3. गमलों में मिश्रण भरने कि तकनीक
  4. गमले में पौधे लगाना
  5. सिंचाई एवं जल निकास
  6. पौधों की कंटाई-छंटाई
  7. उचित गमलों का चयन

गमलों का चयन

गमलों का चुनाव इस बात पर निर्भर करता है कि गमलों में किस तरह के पौधों को उगाया जाना है। बीज बोन के लिए चौड़े मुंह वाले गमले उचित होते हैँ. मौसमी पुष्पों के लिए छोटे गमले ठीक रहते हैं, इससे उनका स्थानांतरण सरल होता है। बहुवर्षीय पौधों (क्रोटोन एवं गुलाब) के लिए सीमेंट के गमले उचित होते हैं। बहुत बड़े गमलों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। फलों के पौधे बनाने के लिए पॉलिथीन के थैले उपयोग करने चाहिए।

गमले के लिए मिट्टी तथा खाद मिश्रण (Pot Mixture)

गमलों में पौधों के लिए उचित माध्यम देना अनिवार्य है, क्योंकि यहाँ उनके जड़ के बढ़ने हेतु सीमित स्थान होता है। गमलों में भरने के लिए मिट्टी के साथ अनेक प्रकार के मिश्रण तैयार किये जाते हैं, जिन्हें Pot Mixture या Potting Mixture कहते हैं।

Potting Mixure बनाने के नियम

गमलों में मिश्रण भरने कि तकनीक

गमले कि तली में एक छेद होता है, जिससे सिंचाई का अतरिक्त जल बाहर निकल जाता है। इस छेद को बंद नहीं होना चाहिए, अतः इस छेद के ऊपर नारियल के रेशे या सूखी पत्तियाँ या छोटे पथरों के टुकड़े भर दें जिससे कि मिट्टी न बहने पाए। इसके बाद मिट्टी का मिश्रण भर दें। गमले का ऊपरी भाग लगभग 2 cm खाली रखें जिससे पानी ऊपर से ही न भी जाय, और पौधे लगाने में कठिनाई न हो।

गमले में पौधे लगाना

पौधा गमले के बिचोंबीच सीधा लगाना चाहिए। यदि किसी अन्य स्थान से उखाड़ कर लाया गया हो तो गमले में उतनी ही गहराई में लगाया जाय जितनी गहराई से उसे उखाड़ा गया हो। पौधे लगाने के मिट्टी को चारों ओर से दबा देना चाहिए।

सिंचाई एवं जल निकास

गमले का क्षेत्र निश्चित होता है और इसी वजह से उसमें नमी की उचित मात्रा बनाये रखना बहुत जरुरी है। कम या अधिक नमी दोनों ही दशा हानिकारक है। सिंचाई करने का समय पौधे और मौसम पर निर्भर करता है। गर्मी के मौसम में लगातार सिंचाई करते रहना पड़ता है।
वर्षा के मौसम में अपेक्षाकृत कम पानी की जरुरत होती है। गमले में पानी रुकना नहीं चाहिए, पानी रुकने पर जड़ गलन की समस्या होती है।

पौधों की कंटाई-छंटाई

गमले में लगे हुये पौधे सुंदर दिखाई दें और अनावश्यक रूप से न बढ़ें इसलिए पौधों की कंटाई-छंटाई का कार्य नियमित रूप से किया जाता है। गमले में लगे हुए पौधों का आकार संतुलित और सीमित हो तथा उनमें एक ही मुख्य तना होनी चाहिए। जड़ों के समीप से ही बढ़े हुए अनेक तनों को काट देना चाहिए। गमला परिवर्तन के समय भी हल्की कंटाई-छंटाई की जाती है।

07. उर्वरक देना

यद्यपि गमले में लगे हुए पौधों की अपेक्षा कम उर्वरक देना होता है, क्योंकि leaching तथा अन्य कारणों से तत्वों की कम हानि होती है तथा जड़े भी सीमित क्षेत्र में फैली हुई रहती हैं। समान्यत: 10-15 g N, 5-10 g P, और 15-25 g K पौधों को दिया जाता है। Nitrogen का पर्ण में छिड़काव भी किया जा सकता है। अन्य तत्वों के 0.1 से 0.5% का छिड़काव किया जाना चाहिए।

08. पौध संरक्षण

पौधों की कीटों तथा रोगों से रक्षा करने के लिए सामयिक उपाय किये जाने चाहिए। पौध संरक्षण के अन्य उपाय वही हैं जो कि field में अपनाये जाते हैं।

09. अन्य देखभाल

गमलों में लगे पौधों को लकड़ी का सहारा देना आवश्यक हो जाता है। कमजोर तने वाले पौधों के लिए यह आवश्यक है। ग्रीष्म ऋतू में पौधों कि विशेष देखभाल कि जरुरत होती है।