Transplanting method of cultivation in rice

धान में रोपण विधि से खेती (Transplanting method of cultivation in rice or paddy)

What is transplanting paddy

Transplanting is a method of cultivation in rice or paddy. In this method, rice plants are first grown in nursery before transplanting in the main field. Although nursery is raised on the same piece of land.

विवरण: धान में रोपण विधि से खेती करना

जिस खेत में धान की खेती करनी होती है उसके 1/10 में धान के बीजों की सघन नर्सरी तैयार करते हैं। इसके लिए 20 से 30 दिन पूर्व बुवाई कर दी जाती है। यह अवधि पूरी हो जाने के पश्चात पौधों को पूर्व से तैयार खेत में रोप दिया जाता है। अधिक वर्षा या सिंचाई की सुविधा होने पर यह विधि अपनाई जाती है, हालाँकि नर्सरी लगाते समय वर्षा की सघनता हानिकारक होती है।

Contents
(1). खेत व नर्सरी की तैयारी
(2). नर्सरी में जल निकासी की व्यवस्था
(3). नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन
(4). नर्सरी में खैरा रोग का प्रबंधन
(5). नर्सरी की अवधि
(6). पौधों की रोपाई
(7). पौधों को रोपने की विधि
(8). अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

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(1). खेत व नर्सरी की तैयारी

  • खेत की अच्छी तरह से तैयारी की जाती है।
  • कम से कम 2 से 3 जुताईयों की आवश्यकता होती है।
  • खेत की तैयारी के समय ही 10 से 15 टन गोबर की खाद खेत में मिलाई जाती है।

(2). नर्सरी में जल निकासी की व्यवस्था

क्योंकि नर्सरी लगाने के कुछ दिनों बाद अधिक बारिश की संभावना होती है इसलिए जल निकासी की व्यवस्था भी की जाती है। इस हेतु 0.10% ढाल के अनुसार जल निकासी की नालियाँ बनाई जाती हैं। जल निकासी की व्यवस्था इस तरह से होनी चाहिए की नर्सरी में जल भराव न हो, और साथ ही नमी की सही मात्रा बनी रहे।

(3). नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन

  • नर्सरी में प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 5 ग्राम यूरिया मिलाया जाता है।
  • बाद कि अवस्था में अगर पौधे पीले पड़ने लगें तब प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 10 से 15 ग्राम यूरिया धान की नर्सरी में डालें। रोपाई में देरी होने पर टॉप ड्रेसिंग नहीं की जाती है।

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(4). नर्सरी में खैरा रोग का प्रबंधन

Management of Khaira Disease in Rice

यह रोग धान के नर्सरी की रोग है। इस रोग में धान के पौधे खैरा रंग के हो जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए जिंक का प्रयोग किया जाता है। इसकी अनुशंसित मात्रा 25 किलो प्रति हेक्टेयर होती है।

समय – समय पर खरपतवार व रोग का प्रबंधन भी किया जाता है।

रोपाई के दिन ही पौधों को नर्सरी से निकाला जाता है। नर्सरी से निकालने के बाद जड़ों को पानी में डुबोकर रखा जाता है।

(5). नर्सरी की अवधि

  • सामान्य पकने वाली धान की किस्में: 20 से 30 दिन।
  • मध्यम अवधि में पकने वाली धान की किस्में: 20 से 25 दिन।
  • देर से पकने वाली धान की किस्में: 25 से 30 दिन।

(6). पौधों की रोपाई

  • यदि हरी खाद वाले फसल की उपलब्धता में 4 से 6 दिन पूर्व ही इसे मिट्टी पलट हल से भूमि में अच्छी तरह से मिला दी जाती है।
  • खेत की अच्छी तरह से मचाई या puddling की जाती है।
  • भूमि की सतह को एक समान किया जाता है, अर्थात यह समतल होनी चाहिए।
  • खेती की तैयारी के समय ही उर्वरकों की आधार मात्रा दी जाती है।
  • खेत समतल होने के बाद ही उर्वरकों का अनुप्रयोग किया जाता है।

खेत की मचाई के दूसरे दिन बुवाई की जाती है। रोपाई के समय अतिरिक जल की निकासी की जाती है।

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(7). पौधों को रोपने की विधि

  • एक स्थान में 2 से तीन पौधे लगाए जाते हैं।
  • पौधों को सीधा लगाया जाता है।
  • रोपण की गहराई 2 से 3 सेमी होती है।
  • जल्दी पकने वाली किस्मों की स्पेसिंग 15 × 10 सेमी होती है।
  • मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों की स्पेसिंग 20 × 10 सेमी होती है।

यदि पौधों की उम्र एक महीने से अधिक हो तो सघन रोपाई की जाती है, तथा पौध संख्या बढ़ा दी जाती है। उर्वरक की मात्रा भी 10% तक बढ़ा दी जाती है।

प्रत्येक 3 से 4 मीटर की दूरी पर लगभग 30 सेमी का रास्ता शस्य क्रिया के लिए रखा जाता है।

जल्दी और मध्यम अवधि की किस्मों के साथ खेती करने पर, फसल की कटाई के पश्चात रबी फसल लगाने का यह सही समय होता है।

(8). अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 01. धान में बुवाई की कौनसी विधि सबसे अच्छी मानी जाती है?

उत्तर: धान में ट्रांस्प्लांटिंग की विधि सबसे अच्छी मानी जाती है।

प्रश्न 02. खैरा रोग किस तत्व की कमी से होता है?

उत्तर: खैरा रोग जिंक की कमी से होता है। यह धान की नर्सरी का एक प्रमुख रोग है।

प्रश्न 03. इस विधि से धान लगाने का प्रमुख लाभ क्या हैं?

उत्तर: इस विधि से धान की खेती करने पर खरपतवारों का नियंत्रण एक प्रमुख समस्या नहीं रह जाती है, तथा धान की प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक होती है।

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Key phrases: What is transplanting in rice?

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